विश्व विरासत दिवस

विश्व विरासत के स्वर्णिम इतिहास को,

एहसासों निर्माण को हमें बचाना है।

वक्त संग बूढ़े होते, धरोहरों को,

सहेजना और हमें ही सजाना है।।


सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व प्राकृतिक

धरोहरों से ही, मिलती है हमें पहचान।

इनके अस्तित्व के संरक्षण से ही,

जुड़ा होता है, हमारा मान-सम्मान।।


अपनी विरासत पर गर्व का,

दिन होता है यह खास।

तीन श्रेणियों में बँटी है धरोहर,

प्राकृतिक, संस्कृतिक मिश्रित है आस।। 


संयुक्त राष्ट्र यूनेस्को की पहल पर,

एक अन्तर्राष्ट्रीय संधि किया गया।

विरासत, धरोहर को बचाने के लिये, 

1972 में संधि को लागू किया गया।।


प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को,

विश्व विरासत दिवस मनाते हैं।

धरोहर के संरक्षण के प्रति,

समाज में जागरूकता लाते हैं।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

Comments

Total Pageviews