एक चिड़ी थी मोटी

एक चिड़ी थी मोटी, 

बना रही थी रोटी।


खुद खाती चार-चार।

चिड़ा को देती केवल अचार।


 चिड़ा एक दिन रूठा।

अचार का डिब्बा टूटा।


 चिड़िया फिर घबराई।

चिड़ा को रोटी खिलाई।


दोनों ने खुशी मनाई।

नहीं हुई  फिर लड़ाई।


रचनाकार

दीपमाला शाक्य दीप,

शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।



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