भारत माता के सपूत श्रद्धेय

हे! क्रांतिबीज हे युग दृष्टा,

उद्धारक जय हो अम्बेडकर।

प्रजातान्त्रिक संविधान के,

रचनाकार जय अम्बेडकर।।

              आज़ादी के दीवाने तुम, 

              भारत  माता के सपूत।

              अतुलनीय संकल्पवान,

              समतामूलक साहस अकूत।।

वसुधैव कुटुम्बकम् के पोषक,

जय बाबा साहबअम्बेडकर। हे! क्रांति- - - 


               जैसी सूरज की बिखरी धूप,

               बिखरा-निखारा तेरा आचार।

               जन-जन प्राण समाहित हैं,

               उत्प्रेरक तेरे शुभ विचार।।

मेरा अंतस$लोकित कर,

निजभाव किरण से अम्बेदकर। हे!क्रांति- - - 


               दलित चेतना के चैतन्यक,

               निर्बल के बल आन बान।

               दीनों  के  आराध्य   देव,

              "निरपेक्ष"हृदय के स्वाभिमान।।

श्रद्धा के पुष्प समर्पित हैं,

स्वीकार करो हे!अम्बेदकर। हे!क्रांति- - - - 


रचयिता

हरीराम गुप्त "निरपेक्ष"
सेवानिवृत्त शिक्षक,
जनपद-हमीरपुर।

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