अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम जयन्ती

जमदाग्नि और रेणुका का 

              पावन तप साकार हुआ,

पावन अक्षय तृतीया को

              परशुराम अवतार हुआ।


वे मूर्त रूप थे संयम का

          संकल्प का और ध्यान का,

बैशाख शुक्ल तृतीया को

          नव ऊर्जा का संचार हुआ।


'परशु' धारी परशुराम

         हैं ब्राह्मण कुल के कुल गुरु,

प्राणी जगत के तारण हार

          विष्णु का छठवतार हुआ।


वैदिक संस्कृति का पृथ्वी पर

               भगवन ने प्रचार किया,

दिव्य धरा पर क्षत्रिय कुल का

                 कई बार संहार हुआ।


महेन्द्रगिरि के तापसी थे

               रण-कौशल में पारंगत,

पुण्य प्रताप मंगलमय तिथि को

       संस्कृति का पुनरुद्धार हुआ।


हे शिवभक्ति में लीन प्रभु!

          मुझ पर भी कृपा बनी रहे,

हे महापुण्य! हे परमात्मा!!

         नत 'विवश' कई बार हुआ।


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

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