स्कूल चलो अभियान

अम्मा, भौजी, नन्ना, बापू, अब नईं अनपढ़ राने हैं।

विद्यालय हमें जाने हैं।।


उमर भई छ: साल हमारी, पास मदरसा है सरकारी। 

घर भर से है विनय हमारी।।

नाम लिखा दो मोरो पापा, शिक्षा अलख जगाने हैं।

विद्यालय हमें जाने हैं।। अम्मा, भौजी.....  (1)


शासन ने जा नियम बनाओ, पूरी मुफ्त किताबें पाओ। 

मिड्-डे-मील रोजईं खाओ।।

बस्ता ड्रेस आदि को पैसा पाके खुशी मनाने हैं।

विद्यालय हमें जाने हैं।। अम्मा,भौजी...... (2)


सर जी एकउ फीस न लैहैं, कम्प्यूटर भी हमैं सिखैहैं। 

पढ़-लिख बाबू जी बन जैहैं।।

लगै इकन्नी न जेब से नन्ना, फिर क्यों समय गँवाने हैं।

विद्यालय हमें जाने हैं।। अम्मा, भौजी.......(3)


खूब पढ़ावें खेल खिलावें, नियमित योगा साथ करावें। सांस्कृतिक प्रोग्राम सिखावें।।

न फिटकरी न हल्दी सच्ची, रंग चोखा हो जाने हैं।

विद्यालय हमें जाने हैं।। अम्मा, भौजी ......(4)


नैना आसौं 2 में पढ़ रई, मैना ऊके संगैं जा रई। 

पाना खूब खटाखट पढ़ रई।।

'माधव' सरजी कबरई वाले,सबके जाने-माने हैं।

विद्यालय हमें जाने हैं। अम्मा, भौजी........(5)


रचयिता

कवि सन्तोष कुमार 'माधव',

सहायक अध्यापक,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरहा,

विकास खण्ड-कबरई,

जनपद-महोबा।

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