सर्द मौसम

सर्द हवाओं ने........,

मस्त फ़िजाओं ने........।

फिर से उमड़-घुमड़ कर,

सिमट गये सब घर में दुबक कर।


आँख मिचौली धूप कर रही,

ठिठुर-ठिठुर हथेली रगड़कर।

देख रहे हैं आसमान को,

मेघ राजा अब तो वर्षा कर।


खुश्क़ हवाओं ने क्या रंग दिखाया...?

छुप रहा सूर्य बादलों में।

देव आओ मन भरमाया,

इतना न जाने क्यों शरमाया.......?


धरती का आँचल सूना है,

खेत-खलियान भी रूखे हैं।

जीव-जन्तु भी सिकुड़ रहे हैं,

नदी-नाले भी सूखे हैं।


तृण-तृण में त्राहि-त्राहि है,

फिर क्यों इतने निष्ठुर हो तुम।

मौन रहकर तुम सुनते हो मेरी,

या कहीं ख्यालों में गुम हो...?


आज आ गयी पहली बारिश,

2020 दिसम्बर की।

नैन थक गये, राह निहारे,

नित-नित हम तुम अंबर की।


मिटी तृष्णा आज धरा की,

मुश्किल से तुम आज हो बरसे।

आँचल महक गया धरती का,

जिसके लिए जन-मानस तरसे।


मेघा इतना रहम कर दो,

पर्यावरण को शुद्ध कर दो।

खुश्क़ ठंड से राहत दे दो,

धरती का तुम हर गम हर लो।


रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

Comments

Total Pageviews