बलिदान दिवस

भारत माँ के चरणों में हम,

अपना शीश चढ़ाने आए हैं।

मतवाले आज़ादी के हम,

पुत्र धर्म निभाने आए हैं।।


माँ को जिसने दर्द दिये हैं,

उनको धूल चटाने आए हैं।

अंग्रेजी हुकूमत को उनकी,

औकात दिखाने आए हैं।।


गुलामी की जंजीरों से हम,

भारत माँ को छुड़ाने आए हैं।

अपना फ़र्ज़ निभाने को हम,

अपना लहू बहाने आए हैं।।


फिरंगियों का चीर के सीना,

हम ताकत दिखलाने आए हैं।

पहन बसंती चोला हम सब,

सिर कफन बाँधकर आए हैं।।


कदम हटें ना पीछे अब तो,

हम सीना तानकर आए हैं।

सरफ़रोशी की तमन्ना हम,

तनमन में भरकर लाए हैं।।


माँ भारती को हम मतवाले,

हर सम्मान दिलाने आए हैं।

जग में सोने की चिड़िया सा,

अभिमान दिलाने आए हैं।।


भारत माँ की ममता पर हम,

अपना सर्वस्व लुटाने आए हैं।

भारत माँ के चरणों में हम,

अपना शीश चढ़ाने आए हैं।।


        जय हिंद

रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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