सर्दी आई

सर्द हवाएँ बहने लगी हैं,

शिशिर ऋतु आने वाली है।

ऊँचे-ऊँचे शिखरों पर

हिम की चादर बिछने वाली है।

पेड़ों से गिरने लगे हैं पत्ते

पतझड़ आने वाला है।

कोहरे का कंबल तानकर अब

सूरज भी सोने वाला है।

मोटे ऊनी वस्त्र पहनकर भी

ठंड से बच नहीं पाएँगे।

गरमागरम चाय और कॉफी

के संग अलाव जलाएँगे।

मूँगफली, अखरोट, रेवड़ी

खूब मजे से खाएँगे।

खेलेंगे कूदेंगे दिनभर

मिलकर धूम मचाएँगे


रचयिता

शालिनी शर्मा,

सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छापुर,
विकास खण्ड-भगवानपुर,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।



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