41/2025, बाल कहानी- 07 मार्च
बाल कहानी- अपना आत्म सम्मान
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एक गाँव में एक गरीब परिवार रहता था। इस गरीब परिवार में मोहन नाम का लड़का भी था, जोकि पढ़ाई में बहुत तेज था। मोहन बड़ा आज्ञाकारी लड़का था। वह अपने से बड़ों का बहुत आदर करता था और प्रतिदिन उन्हें प्रणाम करता था।
सदाचारी होने के कारण सभी गाँववासी उससे प्रेम करते थे, परन्तु मोहन फिर भी उदास रहता था क्योंकि उसका रंग साँवला था। जिससे उसके साथी उसे कालू कहकर चिढ़ाते थे।
मोहन मन ही मन सोचता कि उसे भगवान ने साँवला क्यों बनाया? मोहन यही सवाल अपने माता-पिता से करता तो वे उसे समझाते कि, "ये भगवान की देन है। ईश्वर हर मानव को अलग-अलग गुण, स्वभाव और रंग-रूप देता है। सभी की अपनी विशेषता होती है।" परन्तु मोहन उनकी बातों से सन्तुष्ट नहीं होता था और सोचता था कि, "साँवले रंग की क्या विशेषता हो सकती है?"
फिर एक वर्ष गाँव वालों ने जन्माष्टमी के कार्यक्रम को मिलकर मनाने की योजना बनायी। अब इसके लिए कृष्ण का अभिनय कौन निभायेगा? इस पर विचार किया गया तो सभी ने मोहन को उपयुक्त पाया। अन्ततः मोहन को कृष्ण के रूप में सजाया गया। कृष्ण रूप में सजे मोहन की पूरे गाँव ने प्रशंसा की। अब मोहन को अपने माता-पिता की बातें समझ आ चुकी थीं और अपने साँवले रंग पर वह फूला नहीं समा रहा था।
#संस्कार_सन्देश -
ईश्वर ने हमें जो रंग-रूप या गुण दिया है, हमें उसी को निखारते हुए खुश रहना चाहिए।
कहानीकार-
एम० एस० मधुवन (स०अ०)
प्रा० वि०- सुल्तानपुर, पलनापुर
वि० ख०- कायमगंज
जनपद- फर्रुखाबाद (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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