विषय- संस्कृत, टापिक- स्वर व व्यंजन, शीट क्रमांक -01, दैनिक संस्कृत शिक्षण

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क्रमांक:- 01/2025
#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण (अभ्यास कार्य)
दिनाँक- 10/03/2025 
दिन- मंगलवार 
प्रकरण- #स्वर_और_व्यंजन
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हिन्दी वर्णमाला में मूलतः 33 व्यंजन होते हैं। इन 33 व्यंजनों को पांच वर्गों में विभाजित किया जाता है और इनमें से प्रत्येक वर्ग में पाँच व्यंजन होते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ अन्य व्यंजन भी होते हैं जो इन पाँच वर्गों में नहीं आते हैं। जबकि-
संस्कृत में स्वर 13 होते हैं और व्यंजन 33 होते हैं। 4 अयोगवाह मिलाकर संस्कृत वर्णमाला में कुल 50 वर्ण होते हैं। संस्कृत में स्वरों को 'अच्' और व्यंजनों को 'हल्' कहा जाता है।

*1-स्वर-*
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, ऌ, ॡ, ए, ऐ, ओ, औ 
जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं से भी ज़्यादा समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। जैसे- ओ३म् का उच्चारण करते समय 'ओ' को लंबा खींचा जाता है।

*2-व्यंजन-*
क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह 
जिन वर्गों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है, उन्हें व्यंजन कहते हैं।
स्वर-रहित व्यंजन के नीचे दाहिनी ओर तिरछी रेखा ( `) लगा दी जाती है, जिसे हलन्त कहते हैं।
व्यंजनों का उच्चारण इस बात पर निर्भर करता है कि वे मुँह में कहाँ बनते हैं और मुँह के विभिन्न भागों जैसे होंठ, जीभ, दाँत, तालु और कण्ठ की गति को कैसे नियन्त्रित किया जाता है।

*हलन्त या विराम (_)-*
ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न लगभग सभी लिपियों में प्रयुक्त एक चिह्न है। जिस व्यंजन के बाद यह चिह्न लगा होता है, उस व्यंजन में छिपा हुआ 'अ' समाप्त हो जाता है। विभिन्न भाषाओं/लिपियों में इसके अलग-अलग नाम हैं। देवनागरी में इसे 'हलन्त' कहा जाता है, मलयालम में 'चन्द्रकला' कहते हैं। उदाहरण- महान्, जगत्, विद्वान्,आदि।

तकनीकी व प्रमुख सहयोगी- 
#जया_त्रिपाठी #भदोही 
जुगल_किशोर_त्रिपाठी #झाॅंसी 

संकलन:- #मिशन_शिक्षण_संवाद

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