40/2025, बाल कहानी- 06 मार्च


बाल कहानी- कबाड़ा 
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रीना और मीना दो बहनें थीं। दोनों बहनें बहुत ही गरीब परिवार से थीं। उनका परिवार बंजारा था। दोनों ही बहनें कबाड़ा बीनती थीं। कबाड़ा बीनकर शाम को घर आतीं थीं। उनके माता-पिता अगले दिन कबाड़ा बेचकर कुछ पैसे कमा लेते थे।
एक दिन दोनों बहनें कबाड़ा बीन रही थीं। अचानक कबाडे में से एक अँगूठी निकली। मीनू ने कहा, "इस बार कुछ अलग सी चीज लग रही है। पीली-पीली लग रही है, चलो, अभी चलते हैं... और घर पर माँ को दिखाते हैं!"
घर पहुँचकर दोनों बहनों ने माँ को वह अँगूठी दिखायी। माँ ने देखा तो उसकी आँखें फटी रह गईं क्योंकि वह अँगूठी सोने की थी। उनके माता-पिता ने अँगूठी को बेचकर मिले हुए पैसों से घर का राशन खरीदा और बच्चों को कुछ कपड़े दिलाए। 
नए कपड़े पाकर और कुछ अच्छा खाना खाकर बच्चे बहुत खुश हुए। 
रीना और मीना ने सोचा, "पैसा बहुत कीमती चीज है। पैसा आया तो सब कुछ मिल गया, इसलिए पैसा कमाना जरुरी है।" तब रीना और मीना ने पैसा कमाने की तरकीब सोची।
उन्होंने अपनी नदी के किनारे पड़ी हुई झुग्गी के आस-पास तोरई, लौकी, भिण्डी जैसी सब्जियाँ लगा दीं। कुछ समय बाद उसमें बड़ी-बड़ी लौकीं, तोरई और भिण्डियाँ लगने लगीं। उनकी माँ ने लौकी और तोरई और भिण्डियाँ तोड़कर दोनों बहनों को दे दीं। दोनों बहने सड़क के किनारे बैठ गयीं और लौकी, तोरई और भिण्डियाँ बेचने लगीं।
कुछ समय बाद ताजी सब्जियाँ देखकर सभी राहगीरों ने उनकी सब्जियाँ खरीद लीं। दोनों बहनें बहुत खुश हुईं और मिले हुए पैसे लेकर घर गयीं। उनकी माँ उन पैसों को देखकर बहुत खुश हुईं। माँ ने अपनी दोनों बेटियों को गले से लगा लिया।
माता-पिता सोच रहे थे कि, "उनकी बेटियाँ कितनी बुद्धिमान हैं, जो मेहनत करके पैसा कमाना सीख गईं।" अब वह कबाड़ा बीनने नहीं जाती थीं।

संस्कार सन्देश- 
हमें सदा पैसे का मूल्य समझना चाहिए। मेहनत करके हम अपना भाग्य भी बदल सकते हैं।

कहानीकार-
शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय रजवाना
विकासखण्ड- सुल्तानगंज 
जनपद- मैनपुरी (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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