39/2025, बाल कहानी- 05 मार्च
बाल कहानी- नन्ही राजकुमारी
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बहुत समय पहले की बात है... सोनगढ़ राज्य के राजा भानसिंह की तीन राजकुमारियाँ थी। छोटी राजकुमारी अंबिका बहुत जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव की थी। उसको जो चीज अच्छी लगती, वो उस चीज को हासिल कर लेना चाहती।
एक बार उसने जिद्द की कि, "उसको नगर का भ्रमण करना है।" राजा को बहुत चिन्ता हुई। वह राजकुमारी से बोले, "राजकुमारी हमारे दुश्मन कहीं भी छिपे हो सकते है इसलिए आप कहीं भी बाहर नहीं जायेंगी।"
लेकिन राजकुमारी जिद्द पर अड़ गयी, "नहीं, पिताजी! मुझे महल से बाहर जाना हैं। अगर आप मुझे बाहर नहीं जाने देंगे तो मैं कुछ भी नहीं खाऊँगी।"
राजा ने बहुत समझाया लेकिन राजकुमारी जिद्द पर अड़ी रही। राजकुमारी ने खाना-पीना सब छोड़ दिया। आखिरकार राजा ने राजकुमारी के जिद्द के आगे हार मान ली। राजा ने राजकुमारी को महल से बाहर भ्रमण करने की आज्ञा दे दी। मन्त्री को जिम्मेदारी सौंपी कि, "वह राजकुमारी को भ्रमण पर ले जायें।" बग्घी बुलाई गयी। राजकुमारी शान से उस पर बैठ गयी। पीछे मन्त्री और सिपाही चल रहे थे।
थोड़ी दूर चलने पर जंगल के रास्ते पर बग्घी खराब हो गयी। सिपाही बग्घी सही करने लगे। तभी डाकुओं ने राजकुमारी को घेर लिया। सिपाही और डाकुओं में खूब मुठभेड़ हुई और सिपाही घायल हो गए। मन्त्री ने भी राजकुमारी को बचाने का भरसक प्रयास किया लेकिन वह भी घायल हो कर अचेत हो गये। डाकू राजकुमारी को अपने साथ ले गये। राजकुमारी का रो-रोकर बुरा हाल था। उसको बहुत पछतावा हो रहा था कि राजा की बात उसे मान लेनी चाहिए थी।
उधर महल में जब राजा को ये बात पता चली तो वह बहुत परेशान हो गया। राजा को राजकुमारी अंबिका बहुत प्यारी थी। राजकुमारी को छुड़ाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था।
राजा को इस बात का भी बड़ा दु:ख था कि उन्होंने राजकुमारी की जिद्द क्यों मान ली। राजा ने राजकुमारी को ढूँढने का बहुत प्रयास किया लेकिन राजकुमारी का कुछ पता नहीं चल पा रहा था।
एक दिन डाकुओं ने अपना सन्देश राजा तक पहुँचाया, "अगर राजकुमारी की जान प्यारी है तो खजाने के सारे जेवरात और नकदी हमें दे दो। हम उसको आजाद कर देंगे।"
राजा राजकुमारी अंबिका को बचाने के लिए जेवरात और नकदी देने के लिए तुरन्त तैयार हो गए। राजा ने कहा, "राजकुमारी के लिए तो मैं अपना सारा राज-पाठ भी देने को तैयार हूँ। बदले में मुझे राजकुमारी सही सलामत चाहिए।"
राजा ने डाकुओं की सारी माँगें पूरी की। उसके बाद डाकुओं ने राजकुमारी को रिहा कर दिया। राजकुमारी को अपनी जिद्द पर बहुत पछतावा हो रहा था। वापस आकर उसने राजा से क्षमा माँगी और कभी भी जिद्द न करने का निश्चय लिया। राजकुमारी की जिद की कीमत राजा को अपने सम्पूर्ण खजाने से चुकानी पड़ी।
#संस्कार_सन्देश-
हमें हमेशा बड़ों की आज्ञा का पालन करना चाहिए। बड़ों की हर बात का सम्मान करना चाहिए और कभी जिद नहीं करनी चाहिए।
कहानीकार-
#रुखसार_परवीन (स०अ०)
संविलयन विद्यालय गजपतिपुर
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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