एक दीप
दीप एक घर के आँगन में,
दीप एक छजली पर बालो,
अगणित दीप गली-
गलियारे,
अँधेरे में आज न बैठें,
मनसुख चाचा, चाची चुनिया।
दीप एक बरगद- पीपल ढिंग,
दीप एक बाबा की कुटिया,
दीप एक उस
चबूतरे पर,
जहाँ खेलें मुन्ना- मुनिया।
दीप एक हर हारे मन में,
आस दीप हर बेबस तन में,
उम्मीदों के ज्योतिपुंज
से,
रोशन अंतर्मन की दुनिया।
रचयिता
राजबाला धैर्य,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरिया नारायणपुर,
विकास खण्ड-क्यारा,
जनपद-बरेली।
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