चौसा का युद्ध
बक्सर से 10 मील पर,
चौसा का मैदान।
सन पन्द्रह सौ उनचालीस में,
युद्ध हुआ घमासान।।
अफगानी सरदार शेरशाह,
सूर वंश संस्थापक।
उसके सम्मुख खड़ा हुमायूँ,
मुगलवंश का नायक।।
बारिश की शुरुआत थी,
पच्चीस जून की रात।
हुमायूँ बेखबर मग्न था,
सोया नींद की गात।।
मुगल शिविर जल मग्न हो गया,
मच गयी अफरा-तफरी।
इसी ताक में शेरशाह था,
उसकी योजना तगड़ी।।
हुआ अचानक हमला तो,
मुगलों को समझ न आया।
युद्ध भूमि से भाग हुमायूँ,
अपनी जान बचाया।।
राजपूत उज्जैनिया, गौतम,
और शेरशाह की सेना।
युद्धकला कौशल के आगे,
हुमायूँ की फौज टिकी ना।।
बाढ़ग्रस्त गंगा में कूदे,
8000 सिपाही।
मुगल फौज गंगा में डूबी,
भीषण हुई तबाही।।
डूब रहा था गंगा की,
लहरों में सुल्तान।
निजाम नाम के भिश्ती ने,
हुमायूँ की बचायी जान।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
(स्टेट अवार्डी टीचर)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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