आओ मनाएँ दीवाली

भारत के लिए दिन था बहुत खास

जब राम लौटे थे पूरा करके वनवास।


खुश था हर एक अयोध्यावासी,

दूर होने वाली थी उनकी उदासी।


लिपा-पुता हुआ था हर घर आँगन

नाच रहे थे नर, नारी और वृद्धजन 


भाँति-भाँति के पके थे पकवान

आने वाले थे प्रिय राजा राम


अमावस की थी गहरी रात,

कैसे राजा राम आए,

यही सोच कर हर जन ने

घर-घर में दिए जलाए,

रंगोली और दीयों की थी छटा निराली

तब से मनती आई है दीवाली।


आओ फिर से हम दिए जलाएँ

अपने अंदर श्री राम को बुलाएँ।।


रचयिता

मनीषा सिंह,

सहायक अध्यापक,

कंपोजिट विद्यालय सुरेहरा,

विकास खण्ड-एत्मादपुर,

जनपद-आगरा।

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