सारंगपुर का युद्ध
चौदह सौ सैंतीस का साल,
सारंगपुर मांडू स्थान।
राणा कुम्भा ने किया पराजित,
महमूद खिलजी सुल्तान।।
राणा मोकल के हत्यारों में,
से एक था महपा पंवार।
मांडू के सुल्तान ने आश्रय दे,
राणा से बढ़ाई रार।।
राणा ने पंवार को माँगा,
खिलजी ने कर दिया इन्कार।
तब कुम्भा ने फौज को अपने,
कूच करने को किया तैयार।।
कुम्भा ने आक्रमण करके,
किले पे कर लिया कब्जा।
खिलजी को छः माह के लिए,
कैद किया और दिया सज़ा।।
इसी महान विजय की स्मृति,
विजय स्तम्भ दिलाता।
जो चित्तौड़ किले में स्थित,
कुम्भा के गुण गाता।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
(स्टेट अवार्डी टीचर)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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