गुरु पूर्णिमा
खिला हो जब पूर्ण चाँद,
रोशन करें धरती और आसमान,
अद्भुत होता नजारा आसमां का,
देख उसे आसमां भी इतराये,
तभी तो वो पूर्णिमा कहलाये।
रोशनी ज्ञान की मिलती गुरु से,
जीवन पथ की राह दिखाये,
उस दिन जीवन में होती पूर्णिमा,
जब गुरु ज्ञान से रोशन होता मनवा,
और बन जाए ये दिन गुरु पूर्णिमा।
इक पूर्ण चाँद खिलता जब अंबर में
करता शीतल धरती अंबर को,
दूजा चाँद खिलता जब मन में
शीतल करे मन को,
तभी तो हो उगता सूरज मन में।
जिस दिन होते हैं हम पूर्ण
वही है पूर्णिमा,
गुरु ज्ञान करे पूर्ण
यही है गुरु पूर्णिमा,
हो जीवन में पूर्णिमा।
पूनम का चाँद हो,
ईश्वर का नाद हो,
ज्ञान का साथ हो,
हों अग्रसर गुरु पथ पर हम,
कोटि-कोटि नमन, कोटि-कोटि नमन।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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