अब्दुल कलाम स्मृति दिवस
एक वट वृक्ष गिरा धड़ाम,
एक युग पर लगा विराम।
भारत पुत्र हुआ अब शान्त,
चिरनिद्रा में करने को आराम।।
हर चेहरा आज उदास था,
देश-विदेश मचा हाहाकार।
मानवता का दर्शन देने वाले,
शक्तिध्वज पर दिया विचार।।
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति,
वैज्ञानिक और अभियन्ता थे।
हर भारतीय के आदर्श आप,
अन्तिम साँस शिलांग में लिये थे।
सियासत से दूर रहते थे कलाम,
राष्ट्र करता नम आँखों से सलाम।
मिसाइल मैन जीवित हैं विज्ञान में,
श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं सम्मान में।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
Comments
Post a Comment