विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस
जल, जंगल, जमीन है,
सब प्रकृति में समाहित।
जीव, जंतु, वनस्पति रक्षा में,
मानव जाति का छुपा है हित।।
फल, फूल, मीठे फल देते हैं पेड़,
नदी, झरना, सागर देते हमें जल।
बाग बगीचा उपवन सब महके,
कलरव करते संग में खग दल।।
बादल, वर्षा, ठंडक हैं प्रकृति के अनेक रूप,
कोयला, डीजल, खनिज देती यह हमें अनूप।
बढ़ता प्रदूषण और होता अंधाधुंध शोषण,
प्रकृति की क्षमता को, कर रहा प्रतिदिन दूर।
प्रतिवर्ष 28 जुलाई को हम सब,
प्रकृति संरक्षण दिवस मनाते हैं।
विलुप्त होती प्रजातियों, वनस्पतियों हेतु
संवर्धन-संरक्षण को जागरूकता लाते हैं।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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