विश्व चिंतन दिवस

आओ बैठें कुछ पल,

और चिंतन करें।

क्या सही, क्या गलत,

इसका मंथन करें


किया जिसने चिंतन,

वो ही ज्ञानी हुआ।

रस, रसायन का वो,

सदा विज्ञानी हुआ।


ऋषियों मुनियों ने भी,

सदा चिंतन किया।

रामायण और गीता में,

जीवन का सार दिया।


निखरता है व्यक्तित्व,

सिर्फ चिंतन से।

मन मष्तिस्क हो शुद्ध,

सिर्फ चिंतन से।


काल विकसित हुए,

बस चिंतन से सदा।

ना करते चिंतन तो,

पिछड़े रहते सदा।


शुभ चिंतन है रखता,

हमें निरोगी सदा।

नित चिंतन बनाये,

हमें योगी सदा।


मनन करके प्रभु का,

करो चिंतन सदा।

ख़ुद के संग-संग सोचो,

दूसरों का भला।


बिन चिंतन मनन के,

जो काज करे।

खामियाजा बुरा वो,

सदा ही भरे।


करो चिंतन मनन बस,

ना चिन्ता करो।

दुर्व्यसनों से सदा ही,

तुम बच के रहो।


चिन्ता चिता है ये,

तुम जान लो।

बात मेरी बस इतनी,

तुम मान लो।


हो चिंतन शुभ बस,

शर्त यही है मेरी।

खुश रहोगे सदा तुम,

दुआ है ये मेरी।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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