चन्द्रशेखर आजाद बलिदान दिवस
आजादी का मूल्य पूछो तुम,
पिंजड़े में बन्द पन्छी से।
आजादी का मूल्य पूछो तुम
जेल में बन्द कैदी से।।
अहिंसा के पुजारी ने जब
सन्देश दिया जन-जन को।
एक गाल पर थप्पड़ पड़े यदि,
बढ़ा दो तुम दूसरे गाल को।।
दूसरा भी जब रहा नहीं,
लाओगे कहाँ से तीसरे गाल को।
भिन्नता विचारों में हुई तब,
क्रोध हुआ भारत के लाल को।।
समूह बँट गया था देखो,
नरम दल और गरम दल में।
सपना दोनों का एक ही था,
देश को आजादी दिलाने में।।
चुन-चुन कर मारता रहा,
फिरंगियों सहित सेना को।
आखिरी गोली पिस्तौल की बची तो,
माँ को सलामकर बलिदान किया खुद को।।
करता हूँ शत्-शत् मैं नमन,
हुब्बे वतन के लाल को।
मनाते रहें हरदम ही हम,
श्रद्धांजलि हर साल को।।
रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
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