संत रविदास
644वीं जयंती की हार्दिक बधाई,
संत रविदास जी के विचारों को,
याद करने की तिथि आयी।
कलसा देवी थीं माता,
श्री संतोख दास जी थे पिता,
जीवन उनका वाराणसी में बीता।
हटानी है समाज से जाति प्रथा की बुराई,
यही बात उनके मन में थी हर पल समाई।
कर्म बनाते सच्ची पहचान हैं,
कर्मों से बनता व्यक्ति महान है,
सबको एक जैसा बनाता भगवान है।
बात रविदास जी की मानो,
"मन चंगा तो कठौती में गंगा"
के मर्म को सही-सही पहचानो।
अपना जीवन सफल बनाओ,
अच्छे काम तुम करते जाओ,
भेदभाव का भाव हटाओ,
सद्कर्मों में ध्यान लगाओ।
रचयिता
डॉ0 प्रीति चौधरी,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय सुनपेड़ा,
विकास खण्ड-सिकंदराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।
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