होली

प्रीत का रंग लेकर,

आई फागुन में होली।

निर्मल भाव लेकर,

हम सब खेलें होली।।


अमवा में बौर सजी,

कोयल  छेड़े  है तान।

महुआ से मादक हुई,

धरा पलाश से लाल।।


चारों ओर उड़े गुलाल,

नारी- नारी आनंद मनाए।

रंगों  की  पड़े  फुहार,

गले मिल गीत मल्हार गाएँ।।


रंगों से जब रंग मिले,

खिलें हृदय  के द्वार।

नैनों से झर- झर बहे,

हृदय  में भरा  प्यार।।


रंगों से जब रंग न मिले,

खिलें  न  मन के  द्वार।

जीवन ऐसा हो  जावे,

जैसे हृदय मा लागे घाव।।


होली की ज्वाला जले,

फैले चारों ओर प्रकाश।

जग का अंधियारा मिटे,

बढ़े प्रेम और विश्वास।।


 पर्वों में बस प्रीत को,

 रखें  सदा  ही  याद।

ईर्ष्या और  द्वेष को,

होली में कर दें राख।।


रचयिता
साधना,
प्रधानाध्यापक
कंपोजिट स्कूल ढोढ़ियाही,
विकास खण्ड-तेलियानी,
जनपद-फतेहपुर।



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