राम आए हैं

महका खुशियों से आँगन, 

अवध में राम आए हैं।


बड़ा सूना था ये आँगन,

पतझड़ सा था मुरझाया।

तेरे आने से रघुरैया,

अब जाकर है मुस्काया।

जलाएँगे दीप हर घर में, 

अवध में राम आए हैं।


हुईं पुलकित कौशल्या,

दशरथ जी हैं हर्षाए।

बड़ी मुद्दत से हमने,

रतन अनमोल हैं पाए

गीत मंगल हम गाएँगे,

अवध में राम आए हैं।


उठाकर अपने आँचल में,

लाड़ उनको लड़ाएँगे।

लाल पर हम मिलकर के,

प्यार सारा लुटाएँगे।

सजाएँगे ये घर सारा,

अवध में राम आए हैं।


कहर दुष्टों ने बरसाया,

अंधेरा है घना छाया।

धनुष ले हाथ आए हैं, 

साथ लक्ष्मण को लाए हैं,

मिटाने पाप इस जग से,

अवध में राम आए हैं।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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