नयना
नयनों की भाषा,
नैना ही जानें।
सुख दुःख के आँसू,
पल में पहचानें।
नयनों से दीखे,
ये दुनिया प्यारी।
बिन नयनों के,
हैं राहें अंधियारी
नयनों में समाए,
जब निंदिया प्यारी।
थकान तन मन की,
मिट जाए सारी।
नयनों के बाण,
जब चलें हृदय में।
भावों के मौसम,
बदल जाए पल में।
इस सुंदर तन का,
श्रृंगार हैं नयना।
ईश्वर का अनुपम,
उपहार हैं नयना।
नित रखना ख्याल,
इन नयनों का।
सदा करना सम्मान,
इन गहनों का।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
Comments
Post a Comment