संस्कार-बीज
एक रोचक और दूरगामी महत्त्व का विचार
कहानी, फ़िल्में वे विधायें हैं जिनका बालमन पर गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ता है। इस बात का हम सकारात्मक लाभ उठा सकते हैं। हम बच्चों को ऐसी फिल्में, फ़िल्मी दृश्य, फ़िल्मी गीत, animations दिखा-सुना-बता सकते हैं जिनमें जीवन-मूल्यों से जुड़ा कोई मर्मभेदी तत्त्व हो और उस सन्देश को अपने शब्दों द्वारा वर्तमान परिस्थितियों से जोड़कर अधिक प्रभावी भी बना सकते हैं। 'असली' नायक (hero) की छवि बालमन में निर्मित कर सकते हैं।
कुछ फ़िल्में, जिन्होंने पूर्णतः या अपने किसी विशेष अंश से मुझे अपील किया :-
दो आँखें बारह हाथ
(खुद को दाँव पर लगाकर बुरे लोगों को सुधारना)
नया दौर
(गाँव की भलाई के लिए अकेले जुटना, बाद में सबका साथ आना 'साथी हाथ बढ़ाना')
लगान
(गाँव की इज्ज़त के लिए जात-पाँत भूलकर एक होना, लगन के बल पर असंभव को संभव बनाना)
इंद्र-द टाइगर
(गाँव की भलाई के लिए राजा का रंक बनना और दिलों पर राज करना)
लिंगा
(गाँव के भले के लिए सर्वत्याग करना, यहाँ तक कि झूठा कलंक भी सहना और सब कुछ हँसते-हँसते)
चक दे इंडिया
(मेरा-तेरा का अहंकार छोड़कर टीम भावना से देश का भला करने का जुनून)
मैं आज़ाद हूँ
(जनता के भरोसे को निभाने के लिए नाटकबाज का असली नायक में परिवर्तित होना, विश्वसनीयता हेतु जान देना)
एक रुका हुआ फैसला
(सबके बीच अकेले पड़कर, सबका विरोध झेलकर भी संयम रखना और अपने मत पर अडिग रहना, सबको अपने पक्ष में लाना 'एकला चलो रे')
बावर्ची
(घर-परिवार में सबकी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूँढने की जीवन-कला)
गाइड
(जनता के धार्मिक विश्वास को सही साबित करने के लिए आत्मबलिदान)
शिखर
(बड़ा वह जो देने के लिए निकले)
सूर्यवंशम
(बिना किसी गलती के पिता से निरंतर और बेहद अपमानित होने के बावजूद पिता का बेहद सम्मान)
साहिब बीबी और गुलाम
(सबकी हँसी का पात्र बनने वाले को सम्मान देकर उसका विश्वास और सम्मान अर्जित करना)
सत्यकाम
(उच्च आदर्शों के लिए निज-हितों का त्याग और कष्ट-सहन)
आनंद
(मरते हुए आदमी द्वारा स्वयं खुश रहकर सबको खुश रखने की कला)
शराबी
(मुंशी जी द्वारा नायक का भरोसा कमाकर उसकी बुराई छुड़वाना)
स्वदेस
(अपनी मिट्टी की प्रबल पुकार को सुनना)
दो बीघा ज़मीन
(शहरी चमक के पीछे छुपा अँधेरा)
दोस्ती
(सच्चे दोस्त की मार्मिक कुर्बानी)
काबुलीवाला
(अपनी जड़ों की मार्मिक याद और महत्ता)
मदर इंडिया
(गैर की इज्ज़त की खातिर खुद्दार माँ द्वारा अपने अपराधी बेटे को मार डालना)
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फ़िल्मी गीत :-
बच्चे मन के सच्चे
चुनचुन करती आयी चिड़िया
नन्हा-मुन्ना राही हूँ
इंसाफ की डगर पे
ये कौन चित्रकार है
तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो
हिंदुस्तान की कसम, न झुकेगा...
मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम
कर चले हम फ़िदा
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें
तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा
भारत की सीताओं के दुखड़े
हे मर्यादापुरुषोत्तम तुमने मर्यादा क्यों..
ओ पालनहारे....
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आदर्श चरित्रों के animations/film videos/अपने भावपूर्ण शब्दों में वर्णन :-
एकलव्य (गुरुभक्ति)
पन्ना धाय (राष्ट्रहित हेतु पुत्रबलि)
श्रवण कुमार (मातृ-पितृभक्ति)
सत्यवादी हरिश्चन्द्र (सत्यनिष्ठा)
महाराणा प्रताप (स्वाभिमान)
दधीचि (परहित हेतु निज-बलिदान)
भगीरथ (अदम्य प्रयास)
अभिमन्यु (वीरता)
ध्रुव (प्रभु-निष्ठा)
भरत (आदर्श भाई)
कर्ण (दानवीरता)
युधिष्ठिर (सत्यवादिता)
मीराबाई (भक्ति-वैराग्य)
बुद्ध (आत्मसंयम सत्यशोध)
हेलेन केलर (विषमता में जिजीविषा)
विल्मा रुडोल्फ़ (विषमता में जिजीविषा)
महात्मा गाँधी (सत्याग्रह)
दशरथ मांझी (जुझारूपन)
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उक्त उदाहरण केवल कुछ संकेत हैं, यदि सोच पसंद आये तो सुधी साथी अपने अनुसार परिवर्तित-संशोधित-संवर्धित करके इसे अमली जामा पहना सकते हैं।
लेखक
प्रशांत अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
जिला बरेली (उ.प्र.)।
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