दैनिक नैतिक प्रभात, दिनांक- 22 - 09 - 2021, दिन- बुधवार, हमारा पर्यावरण और हम

*🌹दैनिक नैतिक प्रभात🌹*
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_*🙏संस्कार सन्देश🙏*_
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*दिनांक*- *22 - 09 - 2021*
   *दिन*- *बुधवार*

*हमारा पर्यावरण और हम*
               एक बार की बात है। गुरुकुल के एक आचार्य जी सुबह-सुबह टहलने के लिए खेतों की ओर निकले। जैसे ही वह गाँव के बाहर तालाब के किनारे से खेतों के रास्ते की ओर मुढे, तभी उन्हें थोड़ी देर कुछ बच्चों के हँसने और ताली बजाने की आवाजें सुनाई दीं। पास जाने पर देखा कि सभी बच्चे बहुत उछल-कूद रहे थे। वह भी खुश होकर उनकी ओर बढ़ गये। तभी उन्हें पास में बनी एक नाली में एक छोटा पिल्ला (कुत्ते का बच्चा) पड़ा दिखाई दिया, जो इधर-उधर भागकर जान बचाने की कोशिश कर रहा था। ऊपर चढ़ने की कोशिश करता, लेकिन बच्चे उसे बार -बार उठाकर फिर नाली में पटक रहे थे। आचार्य जी को देखते ही सब बच्चे भागने लगे। आचार्य जी ने सबको रोका और पिल्ले को नाली से बाहर निकलवाया। बच्चों से उन्होंने कहा- "कि इसे नाली में पटकने को किसने कहा था ? सभी बच्चे मौन और भयभीत थे। उन्होंने फिर कहा- "डरो मत ! मैं तुम्हें मारुँगा नहीं, लेकिन सच बताना पड़ेगा"। तभी उनमें से एक बच्चा रमेश बोला- "हम सब तो यहाँ खेलने आये थे। पिल्ला दिख गया तो हम........" आचार्य जी बीच में बोले- "नहीं बच्चों ! ये गलत बात है। इसे गौर से देखो! यह भी हमारी ही तरह है। इसके भी हमारी तरह हाथ-पैर, मुँह-नाक, गर्दन, पेट, आँखें, कान हैं। फिर आचार्य जी उनसे बोले कि- " तुम्हारे और इस पिल्ले के अंगों में कोई अंतर है" ?
          बच्चों ने कहा कि- "नहीं", कोई अंतर नहीं है !.. यह तो हमारी ही तरह है"। सभी बच्चे स्वयं कहने लगे।"हां"! आचार्य जी ने कहा। यही तो मैं तुम्हें बताना और समझाना चाहता था।
 धन्यवाद बच्चों! ठीक समझे। इसलिए हमें उन्हें......"आचार्य जी ने दोनों हाथ उठाकर सभी बच्चों को जबाब देने का इशारा किया। सभी बच्चे तुरन्त समझकर बोले-" मारना नहीं चाहिए।" और ? आचार्य जी ने पुनः पूछा!  "और उनकी रक्षा करनी चाहिए"। सभी बच्चे बोले।
"हाँ"! शाबाश बच्चों!"आचार्य जी ने समझाते हुए कहा" क्योंकि इनसे ही हम जुड़े हैं। इनसे ही हमारा जीवन है।  तथा हम सबको शुद्ध हवा देते हैं। हाँ!एक बात और हमें अपने आस-पास साफ-सफाई रखनी चाहिए ताकि विभिन्न रोगों से हम बचे रहें।"
"धन्यवाद आचार्य जी! आपने तो हमें बहुत ही अच्छी जानकारी दी है"। हाँ" बच्चों! अब तुम सब आपस में खेलो और इस पिल्ले को भी घूमने-फिरने और खेलने दो...
           सभी बच्चे हँसने लगे।... अच्छा मैं चलता हूँ। "सभी बच्चों ने आचार्य जी को प्रणाम किया। आचार्य जी आज बहुत खुश थे, कि आज बच्चों को इस छोटी सी घटना के बहाने कितनी बड़ी शिक्षा मिल गई।

 *कहानी से सीख*-इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि, हमें किसी भी जीव-जंतु, पेड़-पौधों, जानवरों, पक्षियों को हानि नहीं पहुँचानी चाहिए।

*कहानी निर्माणकर्ता*-जुगल किशोर त्रिपाठी।
शि.मि.,प्रा.बि.बम्हौरी, मऊरानीपुर, झाँसी,उ.प्र.

*संकलन* 
*दैनिक नैतिक प्रभात, मिशन शिक्षण संवाद*

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