सीख

सुन सुन सुन मेरे बच्चे सुन,
इस पढ़ने में हैं बड़े बड़े गुन,
गर ये पढ़ाई न होती जहान में,
काबिलियत न होती इंसान में,
तू पढ़ लिखकर बड़े-बड़े सपने बुन।
सुन सुन सुन मेरे बच्चे सुन,
इस पढ़ने में हैं बड़े-बड़े गुन।
ज्ञान से अज्ञानता की नदिया पार कर,
शिक्षक है तेरा केवट तू सम्मान कर।
खूब पढ़ ले तू लगाकर सच्ची धुन।
सुन सुन सुन मेरे बच्चे सुन,
इस पढ़ने में हैं बड़े-बड़े गुन।
आदतों को तू संस्कार से निखार ले,
भरकर प्रेम तू आप में इंसानियत सहेज ले,
लगने न दे तू माँ बाप के सपनों को घुन।
सुन सुन सुन मेरे बच्चे सुन,
इस पढ़ने में हैं बड़े बड़े गुन।
ज्ञानवान बनकर तू सच्चा इंसान बनेगा,
ज्ञानी इंसान पर तो जमाना नाज़ करेगा,
गुणों के मोतियों को समाज हेतु चुन।
सुन सुन सुन मेरे बच्चे सुन,
इस पढ़ने में हैं बड़े-बड़े गुन।
     
रचयिता
उर्मिला पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय माधोपुर हजरतपुर,
विकास खण्ड-रूड़की,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।

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