आओ योग करें

आओ योग करें,
            मिलकर सब योग करें।

शरीर की काया अनमोल बनाता,
जीवन में खुशहाली लाता,
मुफ्त में वरदान दे जाता,
आओ योग करें,
           मिलकर सब योग करें।

योग से मन सुंदर हो जाता,
योग से तन स्वस्थ हो जाता,
योग पर न धन खर्च होता,
आओ योग करे,
           मिलकर सब योग करें।

गरीबी-अमीरी का किस्सा नही,
उम्र की कोई सीमा नही,
योग का कोई धर्म नहीं,
आओ योग करें,
           मिलकर सब योग करें।

नियमित अभ्यास से होता फायदा,
मन में हमारे आत्म-विश्वास जगाता,
चंचल मन को स्थिर रखता,
आओ योग करें,
           मिलकर सब योग करें।

मन में अपने ठानना होगा,
योगा को जीवन में अपनाना होगा,
समाज को जागरूक करना होगा,
आओ योग करें,
           मिलकर सब योग करें।
               
रचयिता
पार्वती पंवार,
प्रधानाध्यापक,
रा0 आ0 प्रा0 वि0 मदन नेगी,
विकास खण्ड-जाखणीधार,
जनपद-टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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