बेटी हैं अनमोल रतन

तर्ज- स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा

बेटी हैं अनमोल रतन इनसे बनता परिवार।
पढ़ लिखकर आगे बढ़ेंगी उन्नत हो संसार।
बेटियों को बचाओ बेटियों को पढ़ाओ।
(1)पढ़ लिखकर कर देंगी ये सपने पूरे सारे।
इनको दे दो मौका चमकेंगी बनके तारे।
इनको भी दे दो तुम अब शिक्षा का अधिकार।
बेटियों को बचाओ बेटियों को पढ़ाओ।
(2)बेटी है घर की रौनक हर पिता की होती जान।
कर देगी रोशन जग को शिक्षा का जो मिले वरदान।
अवसर इसको देकर जीवन को कर दो साकार।
बेटियों को बचाओ बेटियों को पढ़ाओ।
बेटी हैं-------------------------------।।
(3)जीवन रूपी नैया में शिक्षा होती पतवार।
शिक्षा मिलेगी इनको तो हो जाएँगी पार।
शिक्षित करके इनको बन जाओ तारणहार।
बेटियों को बचाओ बेटियों को पढाओ।
बेटी हैं अनमोल-----------------------।।

रचयिता
सीमा कुमारी,
प्रभारी प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कादरीबाग,
विकास खण्ड-डिबाई,
जनपद-बुलन्दशहर।

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