योग

नित्य प्रातः योग करो,
सब रोगों से दूर रहो।
स्वस्थ रहोगे, मस्त रहोगे,
काया को निरोग रखो।

सूर्योदय से पहले नियमित,
योग को हम सब समय दें।
समय ना मिले यदि किसी को,
सूर्यास्त में भी योग करें।

योग करने से नियमित,
सकारात्मक नज़रिया होता है।
अंतरात्मा से ऊर्जा मिलती,
सुखों का दरिया मिलता है।

हड्डियों संबंधित रोग निवारण,
मधुमेह, अस्थमा, पाचन विकार।
गठिया, रक्तचाप और भी सारे,
रोगों को करे योग बाहर।

योग साधना से ही सम्भव,
लाईलाज रोगों का निदान।
औषधियों से दूर रहोगे,
रोज लगाओ मन में ध्यान।

हृष्टपुष्ट रहोगे जब,
तभी सब कुछ कर पाओगे।
जीवन में स्थान दो योग को,
खुद ही सफल हो जाओगे।

योग विवरण आसान नहीं है,
खुद करके विश्वास करो।
मानसिक, भौतिक व आध्यात्मिक,
हासिल और महसूस करो।

चलते फिरते दिन भर ऊर्जा,
थकने का होता नाम नहीं।
योग करोगे जान लोगे,
योग बिना कुछ काम नहीं।
                   
करो योग, रहो निरोग।

रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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