रामधारी सिंह दिनकर

हिन्दी के प्रमुख  लेखक, कवि और निबंधकार,
विद्रोही, छायावाद कवि रामधारी दिनकर,
23 सितम्बर को सिमरिया में देह पाई,
वीर रस की विधा इनकी कविता में समाई।

ओज, विद्रोह, आक्रोश, क्रांति की पुकार,
कहीं कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की दरकार,
चरम उत्कर्ष इन प्रवृत्तियों का कृति में,
उर्वशी, कुरुक्षेत्र चार अध्याय संस्कृति।

स्वभाव से थे सौम्य और मृदुभाषी,
देश हित की बात में झलकती बेबाकी,
नेहरू नीति की खिलाफत में अग्रणी,
हिन्दी गद्य पद्य है इनका ऋणी।

हिन्दी का अपमान नहीं था इनको कुबूल,
अपमान करने वालों को नहीं सकते भूल,
हिन्दी की निन्दा से देश की आत्मा को चोट,
यही विचार मन उनका देता कचोट।

मस्तमौला आदमी था, कवि भी बेजोड़ था,
काव्य धारा को दिया एक नया ही मोड़ था,
नाम और काम से वह निराला ही रहा,
हर देशवासी के हृदय में दिव्य माला ही रहा।

रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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