१६४- रीना प्रा० वि० गिदहा महराजगंज
मित्रों आज हम आपको मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- महराजगंज से बेसिक शिक्षा की अनमोल रत्न बहन रीना जी के विद्यालय की गतिविधियों से परिचय करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच की शक्ति से प्रत्येक विषम परिस्थिति का सामना करते हुए विद्यालय में पहले दिन से ही विकास की रूप रेखा बना कर सामाजिक विश्वास का विद्यालय की बना दिया।
आइये देखते हैं बहन जी की सकारात्मक सोच के प्रयासों को:-
मेरी पोस्टिंग 9 नवम्बर-2015 को प्रा०वि० गिदहा में हुई थी। तब विद्यालय प्रशिक्षु शिक्षकों व एक समायोजित शिक्षक के भरोसे चल रहा था। लेकिन मेरी जोइनिंग के पहले दिन ही समायोजित शिक्षक 6 महीने की मातृत्व अवकाश पर चली गयी। प्रशिक्षु शिक्षक भी उसी दिन से विद्यालय नहीं आये।उनमें से एक 3 महीने की brc ट्रेनिंग पर चली गयी और एक अपने घर चली गयी और मैं विद्यालय पर पहले दिन से ही अकेली रह गयी।मुझे समझ में नही आ रहा था कि मैं अकेली 5 कक्षाओं के साथ न्याय कैसे करूँ। विद्यालय में न बच्चे समय पर आते थे न रेगुलर आते थे।फिर मैंने 5 कक्षाओं को एक साथ सम्भालने की रुपरेखा तैयार की जैसे-
1. स्कूल शुरू होने के आधा घण्टा पहले आकर बच्चों को प्रार्थना सभा के लिए एकत्रित करने के पश्चात, प्रार्थना सभा की गतिविधियों में परिवर्तन करते हुए प्रार्थना के साथ प्रतिज्ञा, अभियान गीत, सामान्यज्ञान के प्रश्न, पी०टी० को प्रतिदिन करवाया जाने लगा जिससे बच्चे स्कूल समय पर व निरन्तर आने लगे। जिससे अध्यापन कार्य भी समय पर शुरू हो जाता था।
2. समय- समय पर अभिभावकों से सम्पर्क किया गया। अभिभावकों को बच्चों की प्रगति के बारे में अवगत कराया गया, जिससे अभिभावकों का स्कूल के प्रति कुछ विश्वास बढ़ा।
3. गतिविधि आधारित शिक्षा और खेल खेल में शिक्षण कार्य किया गया। जिससे बच्चों को स्कूल आना रुचिकर लगने लगा।
4.समय-समय पर खेलों का आयोजन किया गया और बच्चों को पुरस्कृत किया गया।जिससे उनका उत्साह वर्धन होने लगा।
5. जुलाई-2016 में समायोजित शिक्षक के वापस आने के बाद मुझे 2 क्लास सम्भालने की जिम्मेदारी दी गयी। फिर मुझे मौका मिला ज्यादा कुछ करने का। जिसके तहत मैंने अब अपनी कक्षा में हर कार्य को कलात्मक ढंग से करवाने लगी। प्रत्येक शनिवार को Activity day के रूप में लगातार एक वर्ष से मना रही हूँ। आज बच्चे किसी भी चित्र को मात्र 10 min में बना देते है।
6. बच्चों के पास संसाधनों की कमी को देखते हुए अपने पास से ही पेंसिल, रबड़, कटर, इंच पटरी, कलर आदि आज भी मै ही देती हूँ। जिससे वह निरन्तर आ सके।
7. मैंने हर त्यौहार को सेलिब्रेट करवाया।प्रतियोगिता करवाई और पुरस्कार वितरण भी किया गया।
8.प्रत्येक महीने की 1 तारीख को पुरे महीने की उपस्थिति रखने वाले बच्चों को सम्मानित करती हूँ और पुरस्कार वितरण भी होता है।
9.समय-समय पर उनको एक्टिविटी के माध्यम से पढ़ाया जाता है, इमला और टेस्ट भी लिए जाते है।
1. स्कूल शुरू होने के आधा घण्टा पहले आकर बच्चों को प्रार्थना सभा के लिए एकत्रित करने के पश्चात, प्रार्थना सभा की गतिविधियों में परिवर्तन करते हुए प्रार्थना के साथ प्रतिज्ञा, अभियान गीत, सामान्यज्ञान के प्रश्न, पी०टी० को प्रतिदिन करवाया जाने लगा जिससे बच्चे स्कूल समय पर व निरन्तर आने लगे। जिससे अध्यापन कार्य भी समय पर शुरू हो जाता था।
2. समय- समय पर अभिभावकों से सम्पर्क किया गया। अभिभावकों को बच्चों की प्रगति के बारे में अवगत कराया गया, जिससे अभिभावकों का स्कूल के प्रति कुछ विश्वास बढ़ा।
3. गतिविधि आधारित शिक्षा और खेल खेल में शिक्षण कार्य किया गया। जिससे बच्चों को स्कूल आना रुचिकर लगने लगा।
4.समय-समय पर खेलों का आयोजन किया गया और बच्चों को पुरस्कृत किया गया।जिससे उनका उत्साह वर्धन होने लगा।
5. जुलाई-2016 में समायोजित शिक्षक के वापस आने के बाद मुझे 2 क्लास सम्भालने की जिम्मेदारी दी गयी। फिर मुझे मौका मिला ज्यादा कुछ करने का। जिसके तहत मैंने अब अपनी कक्षा में हर कार्य को कलात्मक ढंग से करवाने लगी। प्रत्येक शनिवार को Activity day के रूप में लगातार एक वर्ष से मना रही हूँ। आज बच्चे किसी भी चित्र को मात्र 10 min में बना देते है।
6. बच्चों के पास संसाधनों की कमी को देखते हुए अपने पास से ही पेंसिल, रबड़, कटर, इंच पटरी, कलर आदि आज भी मै ही देती हूँ। जिससे वह निरन्तर आ सके।
7. मैंने हर त्यौहार को सेलिब्रेट करवाया।प्रतियोगिता करवाई और पुरस्कार वितरण भी किया गया।
8.प्रत्येक महीने की 1 तारीख को पुरे महीने की उपस्थिति रखने वाले बच्चों को सम्मानित करती हूँ और पुरस्कार वितरण भी होता है।
9.समय-समय पर उनको एक्टिविटी के माध्यम से पढ़ाया जाता है, इमला और टेस्ट भी लिए जाते है।
बस आगे भी कोशिश रहेगी कि मैं और भी अच्छा कर सकूँ।
रीना प्रा० वि० गिदहा, महराजगंज
रीना प्रा० वि० गिदहा, महराजगंज
मित्रों बस यही कोशिश ही वह शब्द है जो हर अंधकार को प्रकाश में बदलने की क्षमता रखती है। हम मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से आशा करते हैं कि यह बहन जी की बेसिक शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के रूप में कोशिश अनवरत चलती रहे। मिशन शिक्षण संवाद की ओर से बहन जी एवं उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
_आओ हम सब हाथ मिलायें।_
_बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_
_बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
22/07/2017
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
22/07/2017
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