201/2024, बाल कहानी- 06 नवम्बर
बाल कहानी - मनोविज्ञान --------------------- रोशनी ने देखा कि उसका पति कमाई कर उसी के खाते में रुपए जमा कर देता है। उसको एटीएम कार्ड चलाना भी आता है। इसलिए उसने गाँव से बाहर निकल आना उचित समझा। अगले दिन सास-ससुर को मनाया बुझाया। बेटे के विद्यालय से पत्रजात निकाल कर लायी और मायके से लगे बाजार में किराए पर घर लेकर रहने लगी। नये परिवेश में उसे आनन्द आ रहा था। अगले दिन रोशनी ने मानिक का पंजीकरण एक निजी विद्यालय में करवाया। मानिक को विद्यालय में छोड़ दिया। मध्यान्तर होते ही मानिक कक्षा से बाहर निकला। उसके हाथ में थाली थी। वह आदतन प्राँगण के किनारे पर जाकर आराम से बैठ गया। आया ने उसे इस तरह बैठा हुआ देखा। उसने कहा-, "तुम यहाँ क्यों बैठे हो?" मानिक बोला-, "भात खाने के लिए।" आया ने उसे झिड़क कर गँवार कहा। मानिक अपनी थाली उठाये चला आ रहा था। इस समय सारे बच्चे उसे देखकर हॅंसते-हॅंसते लोट-पोट हो रहे थे। वह सिसकियाँ ले रहा था और मन में संकल्प लिया कि-, "कल से नहीं आना यहाँ, अपने स्कूल जाऊॅंगा। मेरा स्कूल कितना अच्छा था!" लेकिन जिस बेटे के लिए वह घर-गाँव