हम हैं एक तस्वीर, माँ तू रूप रंग है

अगर दिवस विशेष की बात की जाए तो आज मातृ दिवस है, मतलब कि माँ का दिन। 18 जून को पिता का भी दिवस आने वाला है। पर हमें लगता है कि माँ के लिए एक दिन नहीं बल्कि हर दिन हमारा माँ से ही होता है। माँ से तो हमारा सम्बन्ध उसी दिन से जुड़ जाता है, जिस दिन माँ खुशखबरी देती है, हमें इस दुनिया में लाती है और हमारा ख्याल रखने लगती है और हमारे दुनिया में आने के बाद मरते दम तक हमारे लिए चिन्ता बनी ही रहती है। 


हम चाहें कितने भी बड़े हो जाएँ चाहें हमारा विवाह हो जाए लेकिन जब तक हमारे माता-पिता हमारे साथ रहते हैं तब तक ऐसा लगता रहता है कि हम बच्चे ही हैं और छत्रछाया में हैं। हमारी माँ हमारे लिए परेशान होती रहती है और कब खुद माँ धीरे-धीरे बीमारियों की चपेट में आने लगती है हमें पता ही नहीं चल पाता है और तब तक बहुत देर हो जाती है। अगर माँ को कोई समस्या है तो निश्चित ही उसके पीछे कुछ ना कुछ बड़ी बीमारियाँ अक्सर होती हैं। 


50 वर्ष या उससे पहले ही मातायें थायराइड, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि से पीड़ित हो जाती हैं। हम समझते हैं कि उम्र का तकाजा है। कभी हाथों में दर्द हो रहा है कभी पैरों में कभी सिर में। यही बीमारियाँ माँ की जान ले जाती हैं और एक दिन माँ हमें छोड़ कर चली जाती हैं। यदि हम तत्काल उनका चेकअप कराएँ तो हम दवाओं के सहारे अपनी माँ के साथ कुछ वर्ष और बिता सकते हैं। हम कर्म और सेवा तो कर ही सकते हैं।


मुझे लगता है अचानक से कुछ नहीं होता है शरीर बहुत पहले से ही बताने लगता है। मेरे एक विवाहित शिक्षक साथी दूसरे जनपद में विद्यालय जाते हैं। घर आते-आते हैं उनको शाम हो जाती है। बताते थे जब तक घर नहीं आते हैं तब तक उनकी माँ दरवाजे पर बाहर बैठकर गली में टकटकी लगाए रहती हैं, अभी तक बेटा नहीं आया है। एक दिन अचानक उनकी माँ उनको छोड़कर चली गईं और पता चला कि उनका ब्लड प्रेशर हाई हो चुका था। सीधा ब्रेन हेमरेज हुआ था। उनको कुछ पता ही नहीं चल पाया। शिक्षक सेवा में हमारे लिए बहुत ज्यादा दबाव हैं। अब हर रोज उनको याद आती रहती है भुला नहीं पा रहे हैं वो दृश्य।


 माता और पिता ऐसी अमूल्य धरोहर हैं कि सदा तो साथ नहीं रहता है किसी का लेकिन जब तक है तब तक उनकी सेवा करते रहें। फिर तो जीवन यादों में ही कटना है। जितना मुझसे हो पाता है मैं उतना दोनों माँओं के लिए करती रहती हूँ।

और अब मैं खुद भी माँ हूँ! मेरी खुद भी बहुत जिम्मेदारियाँ हो गई हैं। माँ के बराबर कोई नहीं है चाहे हमारी माँ हो या पक्षी के रूप में माँ या फिर जानवर के रूप में माँ। हम सब की माँ हो या फिर पूरे संसार की देवी माँ। हमारा मनोबल बढ़ाने वाली हमें सदा खुश देखने वाली कभी अपने लिए कुछ ना माँगने वाली, ऐसी होती है हम सबकी प्यारी माँ ............


रचयिता

शालिनी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय बनी, 

विकास खण्ड-अलीगंज,

जनपद-एटा।



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