१५६- संजय शर्मा, UPS बैजुआ खास, अरांव, फिरोजाबाद

मित्रो आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- फिरोजाबाद के बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न भाई संजय शर्मा जी से करा रहे हैं। जिन्होंने ने अपनी सकारात्मक सोच को धरातल पर उतार कर अपने विद्यालय को आकर्षक और सामाजिक विश्वास के प्रतीक के रूप में स्थापित किया है। क्योंकि बेसिक शिक्षा को आज की विषम परिस्थितियों में आकर्षण और सामाजिक विश्वास के द्वारा ही सम्मानित स्थान पर पहुँचाया जा सकता है। एक विद्यालय को आज जितनी पढ़ाई की जरूरत है उतनी ही आकर्षक परिवेश की भी है। क्योंकि हमारा मानना है कि यदि हम अपने अनुसार परिवर्तन नहीं ला सकते हैं तो समयनुसार स्वयं में परिवर्तन लाकर आगे बढ़ना चाहिए। आकर्षक विद्यालय होना हमें प्रतियोगी परिवेश में मजबूती प्रदान करता है।
तो आइये जानते है कि आपने किस प्रकार अपने विद्यालय को परिवर्तन और विश्वास के रूप में स्थापित किया:---


हमने और हमारे सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक जी ने जुलाई 2008 में एक साथ विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया था। उस समय मैं न्याय पंचायत समन्वयक भी था। लेकिन फिर भी मैं अपने विद्यालय को ही अधिक से अधिक समय देने की कोशिश करता रहा। विद्यालय की बाउण्ड्री टूटी फूटी थी। पानी पीने के लिए एक हैण्डपम्प था जिसे गांव के लोग अक्सर खराब कर दिया करते थे। हमने  प्र0अ0 जी से कई बार स्कूल की दशा सुधारने के लिए कहा लेकिन वे हमेशा मुझे अपने सेवानिवृत्ति का हवाला दे देते और कहते कि बेटा मैं सेवानिवृत्ति हो जाऊं उसके बाद कुछ भी करना। स्कूल मद में आने वाली धन राशि से भी वह क्या करते थे मुझे नहीं पता क्यों कि मैंने कभी जानने की कोशिश भी नहीं की विद्यालय में छात्र उपस्थिति भी नामांकन के सापेक्ष न्यून रहती थी। चूँकि मेरे आलावा प्रधानाध्यापक एवं अन्य स्टाफ उसी ग्राम पंचायत के थे। लिहाजा मैं उनसे कुछ ज्यादा कहता भी नहीं था। लेकिन हमने मन ही मन ठान लिया था कि जब भी विद्यालय की बागडोर मेरे हाथों में आएगी, मैं इसे सुधारने में कोई कसर नहीं छोडूँगा। 2012 में प्र0अ0 की सेवानिवृत्ति के बाद जैसे ही मुझे विद्यालय का चार्ज मिला मैंने अपने परिचारक से मिलकर विद्यालय की दशा और दिशा बदलने के लिए कमर कस ली क्योंकि अन्य स्टाफ तब तक जा चुका था और रह गये हम और हमारा परिचारक। लेकिन तत्कालीन ग्राम प्रधान से कोई सहयोग न मिल पाने के कारण कोई विशेष परिवर्तन नहीं कर सका। लेकिन गाँव के लोगों से मिलकर छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने में किसी हद तक कामयाब हुआ। बाउण्ड्री टूटी-फूटी होने के कारण भौतिक परिवेश परिवर्तन में सफल न हो सका परन्तु मिशन को जारी रखा। और नई ग्राम पंचायत के गठन की प्रतीक्षा करता रहा।
जैसे ही नए ग्राम प्रधान चुने गए। मैंने प्रतिदिन उनसे मिलने की ठान ली और प्रतिदिन विद्यालय पहुँचने से पूर्व मैं उनसे मिलता रहा।
उसका नतीजा हुआ कि हम अपनी योजनाओं में सफल हुए।
सबसे पहले मैंने विद्यालय की टूटी-फूटी चाहरदीवारी को नया रूप दिया। मतलब नये सिरे से तैयार करवाया।
स्वयं सहायता से 20000 रूपये खर्च कर समरसेबल लगवाई। और प्रधान जी से पंचायत मद से पानी की टंकी स्थापित करवा कर टोंटी आदि की व्यवस्था हो गई।
शौचालयों में टायल लगवा कर ओवर हेड टैंक लगवाया और नलों की फिटिंग करवाई। ऑफिस उजड़ी-उजड़ी रहती थी उसे सजीव करने के लिए pop और पुट्ठी करवाकर पेंट करवाया।अभिलेखों को दुरुस्त कर नया रूप दिया। कंप्यूटर को सही करवाया जो कभी चला ही नहीं था। अब सप्ताह में एक दिन सभी छात्र उसका उपयोग करना सीखते है और विद्यालय की सभी सूचनाएं उसमें अद्यतन रहती है। विद्यालय की रँगाई -पुताई और विकास अनुदान मद 2015-16 के 17000 और स्वयं सहायता से 15000 रूपये मिला ऑफिस में POP और पुट्टी करवाई कक्षा-कक्षों को कलरफुल कर ऐसा नया रूप दिया जो छात्रों के लिए विद्यालय आकर्षण लगे।  विद्यालय परिवेश में पेड़ पौधे लगाये ,सब्जियां  उगवाना शुरू किया। जो mdm योजना के तहत विद्यालय में उपयोग की जाती हैं। कक्षा- कक्षों को सहायक सामग्री से सुसज्जित किया। पाठ्य पुस्तकों के पाठ्यक्रम को चार्टों के माध्यम से दीवारों पर लाया जिसे छात्र बिना पुस्तक खोले कक्षा में बैठ कर पढ़ते है। दीवारों पर अनिवार्य लेखन की पुरानी विधा को बदला। सभी अनिवार्य लेखन के फ्लेक्स  बनवाकर दीवारों पर लगवाये। साथ ही महापुरुषों के वक्तव्यों को भी फ्लेक्स के माध्यम से दीवारों पर लगाया जो छात्रों को बहुत अच्छे लगे।
छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने हेतु सभी छात्रों के अभिवावकों से सम्पर्क स्थापित किया और शिक्षा के महत्व के बारे में विस्तार से समझाया। साथ ही उनके मोबाइल नम्बर लेकर एक पंजिका बना कर उसमें लिखे  अब मैं विद्यालय से ही सभी अभिवावकों से संपर्क स्थापित कर  छात्रों के विषय में एवं वार्तालाप करता हूँ।अभिवावक संघ और माता संघ को सुदृढ़ किया। नियमित बैठकों का आयोजन शुरू किया। शुरू में अभिवावकों ने रूचि नहीं दिखाई लेकिन अब अधिकतर अभिवावक बैठक में उपस्थित होकर अपनी बात कहते है। गांव में घूम कर जन संपर्क आज भी जारी है। छात्रों की गुणवत्ता युक्त शिक्षा हेतु मैंने शुरू से ही नियम बना लिया था कि कुछ भी हो जाये कभी विद्यालय देरी से नहीं पहुंचूंगा। मैं हमेशा विद्यालय समय से आधा घण्टा पहले पहुँचता हूँ। जब मैं विद्यालय पहुँचता हूँ तब तक छात्र विद्यालय में प्रार्थना सभा की तैयारी कर लेते है। प्रभात बंदना और अन्य कार्यक्रम हेतु  स्वयं सहायता से 12500 रूपये से म्यूजिक सिस्टम और माइक की व्यवस्था की हुयी है। जिससे छात्र ध्यानमग्न हो प्रार्थना करते है और पी टी करते है।
सभी विषय का शिक्षण सहायक सामग्री से होता है। और फिर मेरे द्वारा बनाये गये छोटे-छोटे बुक नोट से छात्र सामान्य ज्ञान और व्याकरण का भी अध्ययन करते है।
वर्तमान में विद्यालय में 139 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं मेरे अलावा गणित शिक्षिका श्रीमती अर्चना जादोंन, कम्प्यूटर अनुदेशक श्री पवन प्रशांत,शारीरिक शिक्षा अनुदेशक श्री अभिषेक यादव एवं परिचारक पद पर श्री एलेश बाबू है जो कि विद्यालय में संस्कृत का शिक्षण कर एक शिक्षक की भी भूमिका अदा करते हैं।
गांव के लोगों की सोच अब पूर्णतः बदल चुकी है पहले जो कभी विद्यालय में आते नहीं थे अब जरा से सूचना मिलने पर दौड़े आते है।
अभी एक दो दिन में सभी छात्रों को उनके आई कार्ड का वितरण होना है।
और प्रबन्ध समिति, ग्राम शिक्षा समिति , अभिवावक संघ, माता संघ और अन्य बैठकों हेतु एक सुसज्जित कमरा तैयार किया जाना है जिसमें सबको बैठने हेतु पर्याप्त कुर्सियां उपलब्ध हो
गणित और विज्ञानं की प्रयोगशाला शीघ्र स्थापित हो जायेगी।
संजय शर्मा
पू० मा० विद्यालय बैजुआ खास
वि० खण्ड- अरांव
जनपद- फिरोजाबाद
मित्रो आपने पढ़ा कि कहीं न कहीं विद्यालय विकास में शिक्षक की सकारात्मक सोच ही है जो विद्यालय आकर्षक, सम्मानित और विश्वास का प्रतीक बनाता है। अतः मिशन शिक्षण संवाद की ओर से सकारात्मक सोच के धनी भाई संजय शर्मा जी और अनके विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रो आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
21/11/2016

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