५०१~ डॉ० शिखा अग्रवाल प्राइमरी विद्यालय कलारी बिथरी चैनपुर, जनपद- बरेली

🏅#अनमोल_रत्न🏅


💁🏻‍♂ मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- बरेली से अनमोल रत्न शिक्षिका डॉ० शिखा अग्रवाल (प्राइमरी विद्यालय कलारी, बिथरीचैनपुर) जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से न सिर्फ अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है, बल्कि विद्यालय को विविध शिक्षण गतिविधियों एवं बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र भी बना दिया। जिससे आपने आज वह सफलता प्राप्त की है जो हम सभी के विद्यालयों में एक मुश्किल के रूप में सदैव खड़ी रहती है। जिनमें एक है छात्र नामांकन एवं उपस्थिति और दूसरी है निजी विद्यालयों की चकाचौंध भरी कार्यशैली। लेकिन आपने दोनों स्तर पर सफलता प्राप्त कर, हम सभी के लिए गर्व एवं गौरव की अनुभूति प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया है जो हम सभी के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय भी हैं। 


आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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  👉1. शिक्षक का परिचय:-

डॉ० शिखा अग्रवाल प्राइमरी विद्यालय कलारी बिथरी चैनपुर, जनपद- बरेली

नियुक्ति तिथि- 26/11/1999

पदोन्नति तिथि- 27/01/2007

विद्यालय में आने की तिथि 12/11/2012 


👉2. विद्यालय की समस्याएं-

जब मैंने पूर्व  में कार्यभार ग्रहण किया तो विद्यालय में कुल नामांकित छात्र संख्या 275 थी जिसमें से 50 से 60 बच्चे ही स्कूल आते थे। इसका मुख्य कारण अभिभावकों द्वारा बच्चों को खेती कार्य एवं गृह कार्य में लगाए रहना था बच्चे समय से भी विद्यालय नहीं आते थे। जब मैं आया तो इस विद्यालय के दो कमरों में हमेशा ताला पड़ा दिखाई दिया जिनको स्टोर के रूप में काम में लाया जा रहा था। बच्चों की संख्या कम आने का एक मुख्य कारण यह भी था गांव में ही तीन प्राइवेट विद्यालय चलते थे। 


👉3. समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास:-

सर्व प्रथम जो भी बच्चे नियमित आ रहे थे उनके प्रभावी शिक्षण हेतु समय सारिणी बनाकर नियमित पीरियड लगवाना प्रारम्भ किया जिससे सभी शिक्षक अपने-अपने पीरियड में नियमित शिक्षण कार्य करने लगे। बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क कर बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने हेतु आग्रह किया। फिर मैंने विद्यालय में प्रार्थना स्थल पर नित नए नवाचार, नए-नए प्रेरक गीत योग व्यायाम आदि 

क्रियाकलाप कराने शुरू किए इसको गाँव वाले आते-जाते देखते थे। धीरे-धीरे वह अपने बच्चों को विद्यालय भेजने लगे और मेरे विद्यालय में 275 में से प्रतिदिन 215 से 230 के बीच में उपस्थिति रहने लगी। मैंने जो कमरे बंद पड़े थे उनको भी खुलवाया और उनमें से एक कमरे को कक्षा शिक्षण हेतु सुसज्जित किया तथा दूसरे कमरे में विज्ञान गणित प्रयोगशाला स्थापित की। 












👉4. विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियां:-

दिनांक 12/11/2012 को विद्यालय में  प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के उपरान्त सर्वप्रथम मेरे द्वारा विद्यालय में स्वच्छता पर ध्यान दिया गया जिसके अंतर्गत मैंने विद्यालय में छात्र छात्राओं हेतु पृथक- पृथक शौचालय, मूत्रालय एवं वाश वेशिन ग्रामप्रधान जी के सहयोग से बनवाये। विभाग द्वारा स्वीकृत बालिकाओं के लिए इन्सीनिरेटर का निर्माण कराया, स्वयं एवं साथी शिक्षकों के सहयोग से विद्यालय प्रांगण को समतल किया, खेल के मैदान के अतिरिक्त समस्त विद्यालय प्रांगण को पक्का कराया, रेन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम बनवाया एवं तीन हैण्ड वाश स्टेशन बनबाये जिनमें चौबीस टैप लगे हैं। विद्यालय के अंदर विभिन्न प्रकार के पौधे लगाए। क्योंकि शिक्षण कार्य तभी अच्छी प्रकार किया जा सकता है जब हमारा वातावरण स्वच्छ व सुंदर हो विद्यालय में प्रार्थना स्थल पर विभिन्न प्रकार की क्रियाकलाप जैसे पीटी कराना, प्रतिदिन बदल-बदल कर प्रार्थना कराना, बच्चों के द्वारा एक रोचक घटना पूछना, उनको प्रेरक *कहानियों* को सुनाकर तथा दिखाकर शिक्षण कार्य करना प्रारम्भ किया। बच्चों को विभिन्न प्रकार की शिक्षण गतिविधियां कराना, समय-समय पर खेल खिलाना, टी एल एम के माध्यम से शिक्षण को रोचक बनाना, राष्ट्रीय पर्व पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन करना, धार्मिक त्योहारों पर विद्यालय में उसको मनाना, बच्चों के द्वारा क्राफ्ट आदि का कार्य कराना, पपेट शो के माध्यम से कहानियां सुनाना आदि शिक्षण गतिविधियों का प्रयोग किया गया।

👉5. विद्यालय और बच्चों की उपलब्धियां:-

बच्चों को विद्यालय में विभिन्न प्रकार के खेलों के बारे में जानकारी दी गयी। विभिन्न प्रकार के खेल भी विद्यालय में खिलाये जाते है। विद्यालय के बच्चों ने ब्लॉक स्तर से जनपद स्तर तक की खेल प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया जिसमें बच्चों ने खो-खो में ब्लॉक स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया राष्ट्रीय पर्व पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम करके आम समुदाय को भी जाग्रत किया। जिसका सिलसिला अभी तक जारी है। निरंतर प्रयास से आज विद्यालय की छात्र संख्या 400 है। दो प्राइवेट विद्यालय लगभग बंद होने के कगार पर है| इस वर्ष कई बच्चों ने प्राइवेट विद्यालय से नाम कटा कर मेरे विद्यालय में प्रवेश लिया है अपने शिक्षण के कार्यों के लिए मुझे अनेकों बार उच्च अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। 

👉6. शिक्षक और विद्यालय परिवार की उपलब्धियां:-

मेरे विद्यालय के छात्र छात्राओं ने विज्ञान, कला एवं गणित प्रतियोगिताओं में संकुल स्तर स जनपद स्तर तक अपनी पहचान पुरस्कृत होकर बनायी है। शिक्षक की सबसे बड़ी पूँजी उसका सम्मान और बच्चों का प्यार है* और वह मेरे पास असीमित है। आज गांव वालों का मेरे विद्यालय को स्वच्छ सुंदर और सुरक्षा करने में बहुत बड़ा योगदान है। 

👉7. मिशन शिक्षण संवाद परिवार के लिए आपका संदेश :-

मिशन शिक्षण संवाद मेरे लिए एक ऐसा मंच है जहाँ मुझे सीखने के लिए बहुत कुछ मिलता है। उस ज्ञान रूपी प्रकाश से मैं स्वंय के जीवन में तथा बच्चों के जीवन को रोशन करता रहूँगा। मिशन शिक्षण संवाद का मैं आजीवन आभारी रहूंगा, जिन्होंने मुझे नित्य नए-नए नवाचार करने का अवसर दिया। 

👉8. शिक्षक समाज के लिए आपका सुझाव व संदेश:- मेरा सभी शिक्षकों के लिए सुझाव है कि विद्यालय हमारा ध्येय स्थल है जहाँ हमें बालरुप आराध्यों की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस अवसर का सदुपयोग करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ इन्हें दीजिए और नित्य नए नवाचार करते रहिए ताकि अन्तिम छोर के नागरिकों के बच्चे अपना जीवन तो आलोकित करें ही साथ ही इस राष्ट्र के सर्वश्रेष्ठ नागरिक बने और हमारे द्वारा दी गई शिक्षा को पूरे समाज में प्रदर्शित कर राष्ट्र को गौरवान्वित करें। 


✏संकलन एवं सहयोग:

रुपेन्द्र सिंह जी (संयोजक)

मिशन शिक्षण संवाद बरेली

14-01-2021 


नोट : मिशन शिक्षण संवाद परिवार में सहयोग और सुझाव के लिए वाट्सअप नम्बर- 9458278429 पर लिखें ✍🏽

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