अनमोल रे

ये जीवन बड़ा अनमोल रे,

समझो-समझो रे इसका मोल रे।


आत्महत्या कभी मत करना,

हर मुश्किल से डट कर लड़ना।

ताले किस्मत के सारे खोल रे,

समझो-समझो रे इसका मोल रे।


किस्मत से है जीवन मिलता,

अवसर एक ही जीने का मिलता।

खुशी मनाओ बजाओ ढोल रे,

समझो-समझो रे इसका मोल रे।


दिया जीवन है जिसने हमको,

देना मान सदा ही उनको।

जादू प्रेम का रिश्तों में घोल रे,

समझो-समझो रे इसका मोल रे।


ईर्ष्या, लालच से दूरी बनाना,

निराशा मन में कभी भी ना लाना।

बोल मिश्री से मीठे बोल रे,

समझो-समझो रे इसका मोल रे।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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