भेजा पढ़े के ललनवा

बीति गइल जूनवा-२

खुलल इसकूलवा समझला की ना,

भेजा पढ़े के ललनवा समझला की ना।


होला  इस्कूलवा में बहुत पढ़ाई,

देहले सरकार अब सुविधा बढ़ाई।

मिलेला किताब अउर-2 

मिलेला भोजनवा समझला की ना....

भेजा पढ़ेके ललनवा........


बिजली व पानी बाट, बाट शौचालय

जूता मोजा ड्रेस मिली ओही विद्यालय,

सोमवा के फल मिली-2

बुधवा के दूधवा समझला की ना

भेजा पढ़ेके ललनवा......


मिटी अँधियारा  जब सब  पढ़ि लेई,

समाज बढ़ि जाई अउर खुद बढ़ि लेई।

दुनिया में देशवा क-2

बढ़ि जईहे नमवा समझला की ना

भेजा पढ़ेके ललनवा........


जउने रे समाज में ना पढ़ि-लिखि जाला,

होला बर्बाद  अउर पीछे रहि जाला।

कहे ल 'विवश' जोरि-2

जोरि रोज़ हथवा समझला की ना

भेजा पढ़े के ललनवा.......


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

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