लिए तिरंगा हम सब साथी

लिए तिरंगा हम सब साथी, कदम मिलाकर निकल पड़े।

मातृभूमि की रक्षा को हम, लली - लालना  मचल पड़े।।

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लाल रंग से क्रांति करेंगे, धवल चरित्र  बनाएँगे।

हरे रंग से भारत माँ का, कण-कण आज सजायेंगे।।

चक्र हमें गतिमान किये है, दीप जलाने निकल पड़े।

लिए तिरंगा हम सब साथी -------------------------।।

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इस झंडे की आन बान में, तन मन धन सब अर्पित है।

किसमें दम जो ध्वजा झुका दे, मस्तक इसे समर्पित है।।

हम सेनानी अखंडता का, बिगुल बजाकर निकल पड़े।

लिए तिरंगा हम सब साथी ---------------------------।।

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आकर नीचे इस झंडे के, अटल प्रतिज्ञा हम करते।

जन-जीवन को भ्रष्टाचार से, मुक्त करें वादा करते।।

अनाचार आतंक दमन की, जड़ें जलाने निकल पड़े।

लिए तिरंगा हम सब साथी --------------------------।।

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वैज्ञानिक बन भूमण्डल का, जन-नैराश्य हरेंगे हम।

प्रतिरोधी परमाणु शक्ति से, गण-मन अभय करेंगे हम।।

आर्य द्रविड़ के हम वंशज हैं, आन शान से निकल पड़े।

लिए तिरंगा हम सब साथी -------------------------।।


रचयिता

हरीराम गुप्त "निरपेक्ष"
सेवानिवृत्त शिक्षक,
जनपद-हमीरपुर।



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