दोस्ती "एक प्यारा सा रिश्ता"

दोस्ती एक प्यारा सा रिश्ता, 

जो है सागर से भी गहरा, 

आसमान से भी जो ऊँचा, 

नहीं किसी का उस पर पहरा।


मेरे सुख से खुश हो जाए, 

मेरे दुख को जो अपनाये, 

कहीं गिरूँ तो सँभाल ले मुझको

हर ठोकर से मुझे बचाये।


कृष्ण और सुदामा जैसे, 

जो पढ़ लेता मेरे मन को, 

वीणा के तारों के जैसे,

झंकृत करता मेरे मन को। 


फूलों जैसी खुशबू बनकर, 

काँटों मे भी राह दिखाये, 

हर मुश्किल से मुझे निकाले, 

हर पल मेरा साथ निभाए। 


मधुर संबंधों की ए दोस्ती,

जुड़ी प्रेम विश्वास से, 

ज्यों जीवन की डोर बँधी हो, 

आती जाती श्वांस से। 


रचयिता

पंकज लता मिश्रा, 

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय छितौनी शाहपुर चगौना,

विकास खण्ड-अहिरौला,

जनपद-आजमगढ़।



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