मरहम

पुलवामा के घावों पर,

मरहम आज लगाया था।

वायुसेना के वीरों ने,

बालाकोट उड़ाया था।


गद्दारों की बर्बादी को,

गुपचुप जाल बिछाया था।

एयर स्ट्राइक करने का,

वीरों ने प्लान बनाया था।


भारत माँ के सपूतों ने,

दुश्मन को मजा चखाया था।

बारह दिन के अंदर ही,

गद्दारों का कर्ज चुकाया था।


भारत की वायुसेना ने,

दम अपना ख़ूब दिखाया था।

घुस कर दुश्मन के घर में,

ठिकाना उनका उड़ाया था।


हुए अपने संग छलावे का,

जांबाजों ने बदला ले डाला।

जवाब ईंट का दुश्मन को,

फिर पत्थर से दे डाला।


जान की बाजी लगाकर के,

विजय पताका फहराई।

भारत माँ के जाबांजों ने,

ग़द्दारों को धूल चटाई थी।


नमन तुम्हें है वीर सपूतों,

नमन तुम्हारी गाथा को।

नाज बहुत है यारों तुमपे,

प्यारी भारत माता को।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।


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