संत रविदास जी

संत रविदास का जन्म काशी में, 

चर्मकार कुल में हुआ था।

रविवार को जन्मे पिता थे संतोख दास,

माता का नाम कलसा देवी था।।


जूते बनाने का पैतृक कार्य,

सहर्ष ही उन्होंने अपनाया।

दयालु, परोपकारी स्वयं थे, 

मधुर व्यवहार से बहुत ही यश पाया।।


पारिवारिक परेशानियों में भी,

संत रविदास जी विचलित नहीं हुए।

सत्संग, भजन, ध्यान करते रहते,

गंगा तट पर रामानन्द जी के शिष्य हुए।।


उपदेश दिया कर्म प्रधान रखो,

कर्तव्यों से मत मुँह मोड़ो।

करो वही काम जिसे करने के लिए, 

अन्तःकरण से तैयार हो, उसे मत छोड़ो।।


मन चंगा तो कठौती में गंगा, 

कहावत तभी साकार होवे।

निज धर्म, राष्ट्र के प्रति समर्पण,

रखो मानव जन्म दुर्लभ होवे।।


कर्मों से ही बनता भविष्य,

वर्तमान को सँवारते जाओ।

गुजरे अतीत से शिक्षा लेकर,

अच्छा ही कुछ कर जाओ।।


सिखाया जाति-पाति में मत टूटो, 

मानव धर्म का उपदेश दिया।

सिकन्दर लोदी को दिया था जबाब, 

हिन्दू-धर्म को राष्ट्र में अखण्ड किया।।


रचयिता
श्रीमती नैमिष शर्मा,
सहायक अध्यापक,
परि0 संविलियत पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेहरा,
विकास खण्ड-मथुरा,
जनपद-मथुरा।



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