तीज

सोलह श्रृंगार करके,

मैं तो शिव को मनाऊँगी।

पूजा की थाल सजा के,

मैं तो गौरा बुलाऊँगी।


पहनूँ चूड़ी हाथों में हरी-हरी,

मेहंदी रचाऊँ मैं तो भरी-भरी।

बिंदिया लाल लगा के,

आँखों में काजल सजाऊँगी।

सोलह श्रृंगार करके,

मैं तो शिव को मनाऊँगी...


सिंदूर से मैं माँग सजाऊँ,

पैरों में पायल मैं छनकाऊँ।

चूनर हरी लहरा के,

साजन को बुलाऊँगी।

सोलह श्रृंगार करके,

मैं तो शिव को मनाऊँगी....


छप्पन भोग मैं आज बनाऊँ,

शिव गौरा को भोग लगाऊँ।

शीश अपना झुका के,

मैं तो आशीष पाऊँगी।

सोलह श्रृंगार करके,

मैं तो शिव को मनाऊँगी


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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