यथार्थ दर्शन

★एक दर्शन यथार्थ की ओर★
धैर्य, आत्मविश्वास व विपरीत माहौल में भी काम की योग्यता
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बहुत से उत्साही व्यक्ति हैं, जो अपने विद्यालय में ईमानदारी, मेहनत, लगन व समर्पण से काम करना चाहते हैं। लेकिन ऐसे लोग बहुत कम संख्या में होते हैं। जिन्हें उनके साथी विभिन्न तरीकों से हतोत्साहित करने की कोशिश करते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं, उन पर तरह-तरह के कमेंट करते हैं। ऐसे नकारात्मक प्रवृत्ति के लोग नहीं चाहते कि कोई उनसे अलग कुछ करे। इसलिए वे उन्हें अपने समूह में शामिल करना चाहते हैं।
     अच्छे व्यक्ति या शिक्षक के लिए यह स्थिति परीक्षा की घड़ी सदृश्य होता है। हिम्मत हारे बिना नकारात्मक सोच रखने वाले परमस्वार्थ में डूबे व यथास्थितिवादियों का मुकाबला करना चाहिए। हर अच्छा काम व काम करने वालों का लोग प्रारंभ में मजाक उड़ाते हैं, टांग खींचते हैं। उन नकारात्मक स्वभाव के लोगों को नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाने पर बाद में वही विरोधी उनका प्रशंसक बन जाते हैं। पर कभी-कभी नजरअंदाज करना आसान नहीं होता। कई बार विरोधियों का समूह हाबी हो जाता है। ऐसी स्थिति में हिम्मत व साहस का परिचय देना होगा। कई बार छापामार युद्ध की रणनीति अपनाने की जरुरत होती है। कभी- कभी नकारात्मक लोगों के ईगो को संतुष्ट करना पड़ सकता है। जैसे- " *हम सब मिलकर अपने विद्यालय को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं*" और " *आपके सहयोग के बिना मैं यह काम नहीं कर पाऊंगा /पाऊंगी*” जैसे वाक्य प्रतिरोध को कम कर सकता है। कई बार tactful होने की जरुरत होती है। संवाद व टीम भावना हमारी जीत सुनिश्चित कर सकती है।
सभी कर्मयोगी साथियों को हृदय से प्रणाम व सफलता की शुभकामनाएं।
मनोज बोस
खण्ड शिक्षाधिकारी हरदोई

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