शिक्षा में अपेक्षाएँ

शिक्षा में अपेक्षाएँ योग्यताएं भिन्न भिन्न होती है। यह जरूरी नही कि जो बच्चा पढ़ने में तेज हो वही हमारी नज़रों मे प्रतिभाशाली हो व हमारी  सहानुभूति का पात्र हो ।


पढ़ना लिखना-पढ़ना तो शिक्षा का केवल एक पक्ष है , इसके और भी अनेक पक्ष है।क्रीड़ा,वाक् कला,गीत संगीत,नेतृत्व क्षमता, आदि भी शिक्षा के ही अन्य पक्ष है। और जो बालक पढ़ने मे कुशल न हो , वह अन्य पक्षों में कुशल हो सकता है। योग्यताएं सभी में होती है । 

कोई भी बालक योग्यताविहीन नहीं होता है । जरूरत है केवल उन्हें परखने और समझने वाले की ,जो उन्हें परखे और समझे व उनकी कुशलताओ को बाहर निकालकर समाज के सामने रख सके । और यह काम एक शिक्षक ही अच्छे से कर सकता है। कभी कभी हमें लगता है कि बच्चे हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नही कर पा रहे हैं। 

तो थोड़ी देर के लिए हमें अपने मन मे यह भी चिन्तन करना चाहिए कि क्या हम बच्चों की अपेक्षाओं के अनुरूप कर रहे है ।यदि वे पढ़ने लिखने को खेल की अपेक्षा उबाऊ कार्य समझते है तो उन्हें यह विश्वास दिलाना भी हमारा ही कर्तव्य है कि पढ़ना व लिखना भी एक प्रकार का खेल ही है जिसमें मनोरंजन भी है और रोचकता भी। 
    
लेखिका                        
अर्चना रानी                              
प्रा0वि0 मुरीदापुर                          
शाहाबाद ,हरदोई

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