मेरी अम्बे

तर्ज - ले के पहला-पहला प्यार 


होकर शेर पे सवार,

ले के हाथों में तलवार।

आ जाओ मेरी अम्बे,

करने सबका बेड़ा पार।


दुष्टों ने लांघी हैं सीमाएँ सारी,

संकट में आई है दुनिया हमारी।

लेकर चंडी का अवतार,

करने दुष्टों का संहार।

आ जाओ मेरी अम्बे,

करने सबका बेड़ा पार।


अपराधों ने मैया महफिल सजाई,

सारे दुर्गुणों ने ताल मिलाई।

लगाने सबकी फटकार,

सिखाने जग को संस्कार।

आ जाओ मेरी अम्बे,

करने सबका बेड़ा पार।


दीन दुखी सब आस लगाए,

मैया तेरे सब द्वार हैं आए।

लगा कर गले एक बार,

कर दो प्रेम की बौछार।

आ जाओ मेरी अम्बे,

करने सबका बेड़ा पार।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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