हे कलाम तुझको सलाम

हे कलाम तुझको सलाम 

         तुम अभिमान हो भारत के, 

मनुष्य नहीं फरिश्ता हो तुम

               और शान हो भारत के।


भारत रत्न, पद्मभूषण और

           पद्म विभूषण से अलंकृत,

पृथ्वी, अग्नि, आकाश बनाया

            तुम विज्ञान हो भारत के।


अखबार बाँटकर तुमने अपनी

            प्रारम्भिक शिक्षा पूरी की,

तुम प्रेरणा हो इस जग के

             स्वाभिमान हो भारत के।


बचपन बीता संघर्षों में

                   ईमानदार, उदार रहे,

तुम ज्ञान हो भारत के

                  सम्मान हो भारत के।


हे प्रथम नागरिक भारत के

          हे विजन इण्डिया इंस्पायर,

हे मिसाइल मैन पितामह

               तुम जान हो भारत के।


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

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