राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

गुजरात के पोरबंदर में

२ अक्टूबर  १८६९ को।

जन्मा एक महामानव

भारत आज़ाद कराने को।।


पिता करमचन्द गांधी

और माता थीं पुतलीबाई।

बड़ा पुत्र जीवित न रह सका

चार पुत्रों से की भरपाई।।


विवाह सूत्र में बँध गये

अल्पायु में मोहनदास गांधी।

सौम्य, सुशील, पतिव्रता थी

पत्नी उनकी कस्तूरबा गांधी।।


ग्रहण की प्रारंभिक शिक्षा

स्वदेश भारत में ही उन्होंने।

उच्च शिक्षा व  बैरिस्टरी

पास की लंदन में उन्होंने।।


जकड़ा था देश फिरंगियों से जब

कूद पड़े आन्दोलनों में संकल्प ले 

आन्दोलन अनेक किए, हटे नहीं

यातनाएँ सहीं, आगे बढ़े विकल्प ले।


सत्याग्रह, अहिंसा, नमक छोड़ो

भारत छोड़ो आन्दोलन अनेक थे

डाण्डी यात्रा, असहयोग आंदोलन 

नागरिक अवज्ञा आंदोलन अनेक थे।।


बिगुल फूँक दिया सब जगह

आज़ादी का दुनिया के देशों में।

छोड़ने को भारत फिरंगी मजबूर

आज़ादी की लहर सारी दुनिया में।।


चाल चली अंग्रेजों ने जाते-जाते

जहर घोल दिया फिरंगियों ने।

पाकिस्तान, भारत से पृथक कर

बँटवारा करा दिया देश का उन्होंने।।


टूट गई जंज़ीरें सब गुलामी की

आजाद हुआ भारत गुलामी से। 

१५ अगस्त १९४७ को खुशलहरी 

प्रफुल्ल था नागरिक हर तरह से।। 


काँप उठा पूरा देश यह हमारा

३० जनवरी सन् १९४८  को।

बद्दुआएँ देने लगे लोग सब

हत्यारे नाथूराम गोडसे को।।


पति तो अनेक हुए इस राष्ट्र के

पर पिता कोई न बन सका आज तक।

स्वतंत्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस

फिर भी बापू अमर हैं आज तक।‌।


आओ हार्दिक नमन करें उनको

और सच्चे अनुयायी बनें उनके।

राष्ट्र का उत्कर्ष करें मिलकर सब

भाईचारा से सपने पूरे करें उनके।।


रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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