गुरु

श्री राम के पुरुषोत्तम स्वरूप का,

शिल्पकार है गुरु।

कृष्ण की मनमोहक लीलाओं का

रचनाकार है गुरु।

अर्जुन के अचूक निशाने की

चमकती धार है गुरु।

एकलव्य का साहस,

समर्पण, विश्वास है गुरु।


कच्ची मिट्टी को जो आकार दे,

ज्ञान का वह कुंभकार है गुरु।

बन पारस तराशे अनमोल हीरे को,

नव पल्लव का सृजन कार है गुरु।

कर्म पथ पर करे समर्पित,

सच्चा पथ प्रदर्शक है गुरु।

दूर करें जो तम के तिमिर को

वो ज्ञान का प्रकाश है गुरु।


ईश्वर भी हो जाए नतमस्तक,

वो श्रद्धा, सम्मान, विश्वास है गुरु।

ज्ञान के गहने से सजाए जीवन को,

वो अदभुत कलाकार है गुरु।

शब्दों में अवर्णित है गुरु महिमा,

 क्योंकि शब्दों का उद्गम द्वार है गुरु।


श्री राम के पुरुषोत्तम स्वरूप का,

शिल्पकार है गुरु।

कृष्ण की मनमोहक लीलाओं का,

रचनाकार है गुरु।


रचयिता

सुधा गोस्वामी,
सहायक शिक्षिका,
प्रथमिक विद्यालय गौरिया खुर्द,
विकास क्षेत्र-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।



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